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अपने मर्जी से जीने का जो रास्ता बनाया हमने
उसके परिणाम का जिम्मेदार हम हैं,
किसी के पाले में अपने बोझ का गठरी क्यों डालें
जब अपने हर कदम का गुनहगार हम हैं,
इंसान अपनी गलतियों को ईश्वर की मर्जी समझ
अपनी नाकामियों को छिपा लेता है
सच तो यह है की कुंआ खोदा है जब हमने तो
उसमें गिरते भी हम हैं ।।
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