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मैं कैद हूँ अपने बनाये घेरे में,
लाख कोशिशें करने पर भी,
तोड़ना मुश्किल हो गया,
तडप रहा हूँ जंजीरों में,
जकडा हुआ,
इनको तोडकर निकलना
मुश्किल हो गया ,
जिन्दगी बंदिशों में सिकुड़ गयी
ऐसे जैसे पिंजरें में कैद पंछी,
अब भी आजाद होने का
जुनून है दिल में,हिम्मत बनाये
बैठे हैं ।
दौड़ सकता नहीं,चल सकता नहीं,
घिसट कर ही सही ! अपने घेरे को
तो
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