Share0 Bookmarks 220743 Reads0 Likes
मैं कैद हूँ अपने बनाये घेरे में,
लाख कोशिशें करने पर भी,
तोड़ना मुश्किल हो गया,
तडप रहा हूँ जंजीरों में,
जकडा हुआ,
इनको तोडकर निकलना
मुश्किल हो गया ,
जिन्दगी बंदिशों में सिकुड़ गयी
ऐसे जैसे पिंजरें में कैद पंछी,
अब भी आजाद होने का
जुनून है दिल में,हिम्मत बनाये
बैठे हैं ।
दौड़ सकता नहीं,चल सकता नहीं,
घिसट कर ही सही ! अपने घेरे को
तो
No posts
No posts
No posts
No posts
Comments