अपना वजूद's image
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मेरी यह रचना अमर उजाला में पब्लिश हुई है ।

मैं कहां पहुंच गया,
सोचकर बेचैन हूं,
जो देखा था सपना,
उससे मरहूम हूं,
जो वादा किया था,
खुद के जि

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