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जब एक अंगुली उठाते हो
भूल जाते हैं चार अंगुलियाँ
खुद पर इशारा करती हैं,
अपने अंदर झांककर देखो
कहीं खुद भी दागदार तो नहीं,
अपने अपने नजरिया से दुनिया
को देखते हैं लोग,
खुद के हजारों कमियों के इतर
दूसरों पर अंगुली उठाते हैं लोग ।
खुद के जेहन में
अच्छाइयों का चिराग जलाओ
अंधेरा मिट जायेगा,
सबकुछ साफ साफ नजर आएगा ।।
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