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जब एक अंगुली उठाते हो
भूल जाते हैं चार अंगुलियाँ
खुद पर इशारा करती हैं,
अपने अंदर झांककर देखो
कहीं खुद भी दागदार तो नहीं,
अपने अपने नजरिया से दुनिया
को देखते
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जब एक अंगुली उठाते हो
भूल जाते हैं चार अंगुलियाँ
खुद पर इशारा करती हैं,
अपने अंदर झांककर देखो
कहीं खुद भी दागदार तो नहीं,
अपने अपने नजरिया से दुनिया
को देखते
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