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हम सब अंधेरी गुफा में कैद हैं
ना कोई रोशनी है ना कोई पहचान
बस धुप अंधेरा और अज्ञान,
इंसान इंसानियत से दूर नफरत
और तिजारत का घोर अन्धकार
संस्कृति और संस्कारों का तिरस्कार
भाई चारा प्रेम परस्पर भूल गया
मानवता का नहीं रहा संज्ञान,
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