
Share0 Bookmarks 30 Reads0 Likes
दो कदम चलते चलते,
थके थके चुपके चुपके,
कहीं पल भर का विश्राम मिले,
मन हो जाये हलके हलके ।
ये अजनबी राहें हैं ना कोई ठिकाना है,
बस चलते जाना है
बस चलते जाना है ।
है दूर बहुत मंजिल,
अब पाँव हुए बोझिल,
ये अंजानी राहें,फैलाये खड़ी बाहें,
इन अन्धेरी राहों में मिल जाना है,<
No posts
No posts
No posts
No posts
Comments