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दो कदम चलते चलते,
थके थके चुपके चुपके,
कहीं पल भर का विश्राम मिले,
मन हो जाये हलके हलके ।
ये अजनबी राहें हैं ना कोई ठिकाना है,
बस चलते जाना है
बस चलते जाना है ।
है दूर बहुत मंजिल,
अब पाँव हुए बोझिल,
ये अंजानी राहें,फैलाये खड़ी बाहें,
इन अन्धेरी राहों में मिल जाना है,
बस चलते जाना है,
बस चलते जाना है ।
ये जीवन सफर है,
इसमें ना कोई हमसफर,
सब अजनबी हैं ना कोई रहगुजर,
इन टेढे मेढे राहों पर,
लुढ़कते जाना है,
बस चलते जाना है ।
बस चलते जाना है ।।
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