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आक्रोश की ज्वाला है या कुछ और,
आग का दरिया बन गया है आज अपना देश,
अपनी ही संपत्ति को जला रहे हैं नौजवान,
निराशा और विद्रोह से नहीं होगा कोई समाधान,
धैर्य और शालीनता से पैगाम दीजिए,
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