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बड़े लाड प्यार से पाला जिसको,छोड़ घोसला उड गया,
अपनी दुनिया खुद सवारने,
रोता बिलखता छोड़ गया,जब उसको जरुरत थी,
हम तन मन से तत्पर रहते,
आज इन बुढ़ी आंखों की,धुंधली रोशनी में छोड़ अकेला
चला गया ।
अब नव जीवन के उपवन में,
स्वच्छंद विचरण करने में,
रिश्तॉ का ना भान रहा,
बुढ़े मात पिता से अब वो,दर्द का रिश्ता जोड़ गया ।।
इन सूखी आंखों को केवल,
बाहर सूनी राहों पर है नजर,
दिन रात खिडकी पर बैठे,
अब हंस हमारा चला गया ।
दर्द का रिश्ता जोड़ गया ।।
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