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ऐ जिंदगी तुझे क्या नाम दूं
तुझे अपना कहूं या कुछ और नाम दूं
तूने हंसना सिखाया वक्त के हर दौर में
जीने का सलीका सिखाया
जब गमों के दौर में आंसू छलके
उन आंसुओं को मोती समझ पीना सिखाया,
ऐ जिंदगी तुझे क्या नाम दूं ।
हर खुशी हर गम में जीवन के हर कदम में<
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