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ऐ जिंदगी तुझे क्या नाम दूं
तुझे अपना कहूं या कुछ और नाम दूं
तूने हंसना सिखाया वक्त के हर दौर में
जीने का सलीका सिखाया
जब गमों के दौर में आंसू छलके
उन आंसुओं को मोती समझ पीना सिखाया,
ऐ जिंदगी तुझे क्या नाम दूं ।
हर खुशी हर गम में जीवन के हर कदम में
साथ निभाया तूने,
हमारे हर सवालों का जवाब दिया तूने
तूं हमारे हर पड़ाव का गवाह बन
जीवन को संवारा सजाया तूने
में तेरा कर्जदार भी हूं तेरा गुनहगार भी
तूं मेरे हर सवालों का जवाब हैं
तूं मेरे जीवन की सरिता प्रवाह है ।
ऐ जिंदगी तुझे क्या नाम दूं ।।
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