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जमीं से जब उड़ा
उड़ता चला गया
इस विशाल क्षितिज को नापते चला गया
जब अंतिम छोर तक पहुंचना जुनून था
आया एक तूफान नीचे उतरता चला गया,
ये भूल थी हमारी या अति उत्साह था
बहेलिया पर कुतरने को तैयार था,
मारा ऐसा तीर तूफान आ गया
गिरता हुआ मैं एक डाल पर अटक गया,
एक डाल कब तक मेरी ढाल रहेगी
उस डाल के सारे पंछी के कलरव
हम पर रहेगी ।
अपने उड़ान पर मैं हूं परेशान
दुश्मनों के पंजों में फंसी है मेरी जान ।।
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