
Share0 Bookmarks 64 Reads0 Likes
वो लड़की
ज़ीनत-ए-जहां सी थी वो
सुब्ह की पहली दुआ सी थी वो
मेरे ख़्यालों के मलिका सी थी वो
उसने कभी मेरा तग़्फ्फुल1 नहीं किया मगर फिर भी मेरे हमनवां सी थी वो
प्यासे से मेरे दिल को
एक बहती दरिया सी थी वो
मेरे ज़ीस्त2 की हर ख़ुशीयों की
एकलौती ज़रिया सी थी वो
युं तो अग़्यार3 थी वो
मेरा पहला सा प्यार थी वो
रूह में भी मेरे शामिल
बेहद और बेशुमार4 थी वो
और मेरी इन बातों से भी बेदार थी वो
अदाएं उसकी मेरे हर ताबीर5
में छाई रहती थी
ख़्यालों का एक शहर था सुना
जिसमें
वो, मैं और मेरी तन्हाई रहती
खुशबु-ए-नसीम6-ए-सुब्हा सी थी वो
No posts
No posts
No posts
No posts
Comments