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मोर मुकुट पीताम्बर साजे,शंख चक्र पद्म विराजे
दृगन मोहित भाव भर, कुंजित करते नंद लाल...!
कृष्ण-प्रेम-लतिका राधे, स्याम-चन्द्र माथे विराजे,
मेरी स्वामिनि राधेरानी, अति शोभित सोहि भाल..!!
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