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खुद ही तराशा था रस्ता मैंने इन पहाड़ों से टकराकर,
किसी इमदाद की कोई दरकार न थी।
फिर एक मैदान दिखा तो थो
किसी इमदाद की कोई दरकार न थी।
फिर एक मैदान दिखा तो थो
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