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हम ऐसा क्यूँ करते है?
माँ को बनाकर देवी, उससे
इंसानों वाली खुशियाँ छीन लेते है
हम ऐसा क्यूँ करते है?
जो बाप खुद कुछ न कहे
उससे उसका दर्द क्यूँ नहीं पूछते है
बनाकर भगवान उसे, उसे ही छोड़ देते है
सच, हम ऐसा क्यूँ करते है?
बनाकर घर की इज्जत, एक पिंजड़े का
लड़कियों को उसी में कैद कर देते है
और मर्द का मोहर लगाकर हम
लड़को को रोने भी नहीं देते है
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