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शब्द एक संकल्पना, भाव अनेक लगाय।
जिसकी जैसी भावना, भाव रहा बरसाय।।
शब्द शब्दस: वर्तनी, यदि भाव न निर्मल होय।
भाव-अभाव के मेल में, मरम बचे नहिं कोय।।
मन-मानुष शब्द टटोलते, जेहिं वाणी अमिय सुहाय।
ईर्ष्या-तृष्णा भूलते, तृप्त करहिं हिय जाय।।
शब्द हृदय छलनी करें, जेहिं सूई चुभ-चुभ जाय।
शब्द करें उपचार भी, अंतर्मन घुल जाय।।
मधुर-शब्द सम कछु नहींं, द्वेष-कलेश मिटाय।
बाती-दीया के मेल से, सहज मोम पिघलाय।।
शब्द तोलकर बोलिए, जिमी कुंदन जाय तुलाय।
सअर्थ शब्द-रस घोलिए, हित-अनहित हिय धाय।।
शब्द चुनें कंटक सरिश, शूल समान विषाय।
शब्द मंजरी से चुनें, हृदय घाव मिट जाय।।
शब्द वार अदृश्य से, पावन मन टूटि जाय।
हृदय विदारक शब्द से, जेहिं टूटे जुड़ नहिं पाय।।
कर जोड़े विनती करें, नित-नित शीश नवाय।
शब्द मधुर चयनित करें, जेहिं मन संताप मिटाय।।
'संवेदिता'
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