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हे नारी! तुम श्रद्धा हो मेरी,
हो त्याग सरलता की मूरत।
स्त्री स्वरूप के अज्ञानी,
करते कैसा विध्वंस देख।
नारी तू क्यों नि: शब्द हुई,
इस नगरी के प्रपंच देख।
क्यों रखें वेदना के गागर,
फोड़ें नहिं क्यों तू रंज देख।
आखिर तू कब तक रोयेगी,
यूं दूजों के दुष्कर्मों से।
क्या तेरा लहू नहीं जलता,
यह नित्य प्रताड़ित कर्म देख।
ऐसे ही क्यों तू सहती है
दुनिया के ताने-बाने को।
हे नारी! तू शक्ति विवेक,
उठ जाग और उद्दण्ड़ देख।
वनिता तू अविरल धारा है,
तुझको जग बांध नहीं सकता।
पर तू खुद ही बंध जाती है,
एक प्रेम डोर के रंग देख।
इसका तात्पर्य नहीं है यह-
तू अबला है, तू शक्तिहीन।
ये स्नेह शक्ति का आंचल हैं,
इसमें वात्सल्य का संग देख।
तुझको निसहाय समझता जो,
अक्षम्य मनुज को भान नहीं।
सबका अस्तित्व तुम्हीं से हैं,
विस्मृत है सब सम्बन्ध देख।
तन-मन-धन करती न्यौछावर,
फिर अग्नि परीक्षा है कैसी।
बिन बात कलंकित करते हैं,
व्यक्तित्व तेरा क्यों ढ़ंग देख।
पुष्प सा कोमल मन आहत कर,
अविश्वास का पात्र बना।
मुख मुद्रा में पौरुष्य लिए,
चलते हैं कैसे संग देख।
ममता वात्सल्य का करो त्याग,
विकराल रूप धर शस्त्र हाथ।
रक्षा कर स्व सम्मान आप,
जग आज प्रकृति का तंज देख।
संवेदिता
हो त्याग सरलता की मूरत।
स्त्री स्वरूप के अज्ञानी,
करते कैसा विध्वंस देख।
नारी तू क्यों नि: शब्द हुई,
इस नगरी के प्रपंच देख।
क्यों रखें वेदना के गागर,
फोड़ें नहिं क्यों तू रंज देख।
आखिर तू कब तक रोयेगी,
यूं दूजों के दुष्कर्मों से।
क्या तेरा लहू नहीं जलता,
यह नित्य प्रताड़ित कर्म देख।
ऐसे ही क्यों तू सहती है
दुनिया के ताने-बाने को।
हे नारी! तू शक्ति विवेक,
उठ जाग और उद्दण्ड़ देख।
वनिता तू अविरल धारा है,
तुझको जग बांध नहीं सकता।
पर तू खुद ही बंध जाती है,
एक प्रेम डोर के रंग देख।
इसका तात्पर्य नहीं है यह-
तू अबला है, तू शक्तिहीन।
ये स्नेह शक्ति का आंचल हैं,
इसमें वात्सल्य का संग देख।
तुझको निसहाय समझता जो,
अक्षम्य मनुज को भान नहीं।
सबका अस्तित्व तुम्हीं से हैं,
विस्मृत है सब सम्बन्ध देख।
तन-मन-धन करती न्यौछावर,
फिर अग्नि परीक्षा है कैसी।
बिन बात कलंकित करते हैं,
व्यक्तित्व तेरा क्यों ढ़ंग देख।
पुष्प सा कोमल मन आहत कर,
अविश्वास का पात्र बना।
मुख मुद्रा में पौरुष्य लिए,
चलते हैं कैसे संग देख।
ममता वात्सल्य का करो त्याग,
विकराल रूप धर शस्त्र हाथ।
रक्षा कर स्व सम्मान आप,
जग आज प्रकृति का तंज देख।
संवेदिता
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