तुम और समुन्द्र's image
Poetry1 min read

तुम और समुन्द्र

Rupali YadavRupali Yadav March 12, 2023
Share0 Bookmarks 44416 Reads1 Likes
ये जो विशाल समुन्द्र है,
इसकी ओर कई नदियाँ बढ़ती हैं,
और हो जाती हैं आकर लोप इसमें।

पर इस समुन्द्र की भी तो होगी कोई पसंदीदा नदी!!
जिसे वो खुद मैं ना समाकर,
खुद उसमें मिल जाना चाहता होगा।

जिसे उसने उतारा होगा खुद मैं नम्रता से।

जिसके सूखने के ख्याल मात्र से घबरा जाता होग

No posts

Comments

No posts

No posts

No posts

No posts