Share0 Bookmarks 43981 Reads1 Likes
तुझसे मिलने के खातिर हम आस लगाए बैठे हैं,
जो बात जुबां पर आनी थी उसे दिल में छुपाए बैठे हैं,
तेरे दिए ताबीज को हम मुट्ठी में दबाए बैठे हैं,
तुझसे मिलने के खातिर हम आस लगाए बैठे हैं।
तेरी यादों को संजोने के खातिर हम दुनिया को बिसराये बैठे हैं,
तेरे रुखसारों की लाली को होठों से लगाए बैठे हैं,
तुझसे मिलने के खातिर हम आस लगाए बैठे हैं।
No posts
No posts
No posts
No posts
Comments