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मैंने सिर्फ तुमसे प्रेम नहीं किया,
मैंने प्रेम किया तुम्हारी कही - अनकही अनगिनत बातों से।
मैंने प्रेम किया तुम्हारी खामोश मुस्कान से।
मैंने किया प्रेम तुम्हारे हर इम्तिहान से।
मैंने प्रेम किया तुम्हारी उन धड़कनों से, जो भीतर ही भीतर कई समीकरणों को हल कर रही थीं।
मैंने प्रेम किया तुम्हारे तर्क-वितर्क से।
मैंने तुम्हारे हर एक पल से प्रेम किया है , जिसमें तुम जिए हो।
मैंने प्रेम किया तुम्हारी स्मृतियों से।
मैंने सिर्फ तुमसे प्रेम नहीं किया।
मैंने तुम्हारे उस हर एक सूत्र से प्रेम किया है,जिसे तुमने बांधा अपने साथ।
-रुपाली यादव
मैंने प्रेम किया तुम्हारी कही - अनकही अनगिनत बातों से।
मैंने प्रेम किया तुम्हारी खामोश मुस्कान से।
मैंने किया प्रेम तुम्हारे हर इम्तिहान से।
मैंने प्रेम किया तुम्हारी उन धड़कनों से, जो भीतर ही भीतर कई समीकरणों को हल कर रही थीं।
मैंने प्रेम किया तुम्हारे तर्क-वितर्क से।
मैंने तुम्हारे हर एक पल से प्रेम किया है , जिसमें तुम जिए हो।
मैंने प्रेम किया तुम्हारी स्मृतियों से।
मैंने सिर्फ तुमसे प्रेम नहीं किया।
मैंने तुम्हारे उस हर एक सूत्र से प्रेम किया है,जिसे तुमने बांधा अपने साथ।
-रुपाली यादव
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