
आदि है और अंत भी है हम
साधु है और संत भी है हम
सत्य सनातन आदि पुरुष
रौद्र है और कंत भी है हम
वेदों का ज्ञान पढ़ाया हमने
गीता उपदेश बताया हमने
असभ्य अभद्र दुनिया को
सभ्यता शब्द समझाया हमने
नियंत्रित करे सब अपना मन..
स्थिर रखे आप अपना तन..
बताएंगे समझाएंगे आपको ..
क्या होता है सत्य सनातन
श्रृष्टि को बचाने प्रलय से
पृथ्वी पुनः चलाने लय से
मत्स्य रूप धारण करते है
मनुष्य को बचाने भय से
बचाने प्रह्लाद के भक्ति को
करने प्राप्त उस मुक्ति को
हिरणकाश्यप के वध हेतु
दिखाते नरसिंह शक्ति को
पृथ्वी को डाला पानी में
हिरणाक्ष अपने रवानी में
पृथ्वी को निकाला बाहर
बन बराह , बन दानी मैं
समुंद्र मंथन का कार्य था
बहुत मंदार का भार था ।
कक्षप रूप धारण किया ।
तब स्थिर हुआ पहाड़ था ।
बलि का घमंड था अखंड
करने उसको खंड खंड
वामन बन नापा धरती को
तीन पग में नापा सारा भूखंड
मेरा सबसे क्रोधित अंश
करे पाप का वह विध्वंश
परशुराम से प्रसिद्धि पाई
कुचला मैने विषैले दंश
अत्याचारियों का नाश किया
अत्याचार का विनाश किया
सहस्त्र अर्जुन के हाथ काटे
फिर उसका सर्वनाश किया ।
श्री राम स्वरूप सर्वोत्तम है
अवतारों में सबसे उत्तम है
भाई के लिए राज्य छोड़े एक पल में
इस धारणा के पुरुषोत्तम है
सीता का हुआ अपहरण
लंका में पड़े इनके चरण
रावन के दस शीश काटे
किया प्राण उसके हरण
जब होता है अत्याचार बड़ा
पापी कंस जब हो खड़ा
कृष्ण रूप में आता हूं
करने उसके वध पे अड़ा
जब द्रौपदी की साड़ी खींची जाती है
अन्याय जब पांडवो को रुलाती है ।
तब महाभारत का युद्ध होता है
मृत्यु हर पल तांडव करवाती है ।
कभी कभी बुद्ध के रूप में
शांति और अहिंसा का दूत मैं
दुनिया को कर्म सिखाता हु
शह सुखा बारिश और धूप मैं
बुद्ध रूप में जब आता हूं
स्नेह का पाठ पढ़ाता हूं
संभल जाओ सारे लोग
अंतिम बार समझता हुं
कल्कि स्वरूप भयानक होगा ।
सबके लिए पीड़ा दायक होगा
नहीं समझे इस बार तो ।
वह मृत्यु का सहायक होगा ।
सत्य सनातन आदि पुरुष मैं सत्य सनातन शक्ति हूं ।
श्री राम का अनल तेज मैं , श्री कृष्ण की पावन भक्ति हु ।
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