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गिर गिर कर ही सही
मगर खड़े होते चले
ज़िंदगी देख!
हम कैसे
तेरे एहसानों को
हर रोज़ ढोते चले
रुक रुक कर ही सही
मगर बढ़ते चले
ज़िंदगी देख!
हम कैस
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गिर गिर कर ही सही
मगर खड़े होते चले
ज़िंदगी देख!
हम कैसे
तेरे एहसानों को
हर रोज़ ढोते चले
रुक रुक कर ही सही
मगर बढ़ते चले
ज़िंदगी देख!
हम कैस
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