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वो जज़्बात ही क्या
जिन्हें बिना मशक़्क़त
पढ़ लिया जाए
वो एहसास ही क्या
जो आसानी से
लफ़्ज़ों में ढाल दिए जाएं
वो लम्हें ही क्या
जो बिन मसरूफ़ियत
गुज़र न पाएं
वो नज़रें ही क्या
जो दिल की
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