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भागदौड़ की ज़िंदगी भी
सच में अजीब है
सुकून की तलाश में
सबके नसीब है
आज का पता नहीं
मगर कल की तैयारी है
औरों की खुशियाँ
ख़ुद के गमों पर भारी हैं
अपनों से बनती नहीं
गैरों से बढ़ती यारी है
भीड़ में भी तनहा
ये कैसे दुश्वारी है
जज़्बातों से भरे हुए
मगर लफ़्ज़ सारे खाली हैं
वाह रे इंसान !
कैसी तेरी फनकारी है
वाह रे इंसान !
कैसी तेरी फनकारी है
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