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लफ़्ज़ों का आभाव है
न जाने कैसा ये तुझसे मेरा जुड़ाव है
दिल में उभरता हरपल तेरा ही भाव है
तू दूर सही मगर मुझे ,सिर्फ़ तुझसे ही लगाव है
तेरी मोहब्बत से भरा मेरा हर इक ख़्वाब है
तू ही मेरे हर संशय का मुक़म्मल जवाब है
रूह को रौशन करता तेरे इश्क़ का चिराग है
तू है तो सब ठीक वरना सबकुछ ख़राब है
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