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हां ये सच है थक गई हूं मैं
थोथे रिश्तों से पक गई हूं मैं
बनावटी बातें अब मुझसे होती नहीं
दिखावों की खातिर ख़ुद को खोती नहीं
मिले न मन जहां,, वहां जाती नहीं
हाथ हर किसी से अब मिलाती नहीं
चुप रही लंबा समय
हर किसी के वास्ते
समझा न कोई जब
हम चल दिए अपने रास्ते
दिल जो दुखाए उससे
दूर से ही राम राम है
जबसे जाना औरों को ,,
ख़ुद में आराम ही आराम है
✍️✍️
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