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हां ये सच है थक गई हूं मैं
थोथे रिश्तों से पक गई हूं मैं
बनावटी बातें अब मुझसे होती नहीं
दिखावों की खातिर ख़ुद को खोती नहीं
मिले न मन जहां,, वहां जाती नहीं
हाथ हर किसी से अब मिलाती नहीं
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