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तरसती इन निगाहों को
बस इक तेरी तस्वीर का सहारा है
मर चुकी हूं कबकी मैं
मुझे तो सिर्फ़ तेरी यादों ने संभाला है
सुबकती इन आँखों को
बस इक तेरी आहट की आस है<
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तरसती इन निगाहों को
बस इक तेरी तस्वीर का सहारा है
मर चुकी हूं कबकी मैं
मुझे तो सिर्फ़ तेरी यादों ने संभाला है
सुबकती इन आँखों को
बस इक तेरी आहट की आस है<
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