स्त्री's image
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किसको क्या चाहिए

किसकी क्या ज़रूरत

जानती सबकुछ

जैसे जादू की छड़ी


दो हाथों से

काम सौ करती

ऐसी उसकी

काया है ढली


बैठ जाए जो

इक पल को भी

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