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किसको क्या चाहिए
किसकी क्या ज़रूरत
जानती सबकुछ
जैसे जादू की छड़ी
दो हाथों से
काम सौ करती
ऐसी उसकी
काया है ढली
बैठ जाए जो
इक पल को भी
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किसको क्या चाहिए
किसकी क्या ज़रूरत
जानती सबकुछ
जैसे जादू की छड़ी
दो हाथों से
काम सौ करती
ऐसी उसकी
काया है ढली
बैठ जाए जो
इक पल को भी
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