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नदी सी होती है स्त्री,,
मानो थाम रखा हो सारा संसार ,,
अपने हृदय के भीतर ..
जैसे ही होता है आभास उसे,,
किसी हृदय की रिक्तता का,,
तो उड़ैल देती हैं उसपर अपने ,,
हृदय का सारा प्रेम ,,
और समर्पित कर देती हैं अपना जीवन उसको....
जैसे किसी रिक्त गहराई को नदी की निर्झर धारा...
आलिंगनबद्ध करती हो!!!!!
✍️✍️
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