Share0 Bookmarks 47854 Reads1 Likes
हाल देखकर इंसानों का
शेर पिंजरे में इतराता है
आज़ाद होते हुए भी
आदम क़ैदी नज़र आता है
हूं मैं मज़बूर ये तो
समझ आता है
हुआ क्या है इसको
जो ख़ुद की ही बंदिशों में
जकड
No posts
No posts
No posts
No posts
हाल देखकर इंसानों का
शेर पिंजरे में इतराता है
आज़ाद होते हुए भी
आदम क़ैदी नज़र आता है
हूं मैं मज़बूर ये तो
समझ आता है
हुआ क्या है इसको
जो ख़ुद की ही बंदिशों में
जकड
No posts
No posts
No posts
No posts
Comments