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वक्त के कोरे पन्नों पर
लम्हे सुहाने सजा गया
आँखों की विरानियों को
सपने हसीन दिखा गया
दिल की कोरी गलियों में
एहसासों की
कलियाँ खिला गया
खुश्क पड़े होंठों पर
मुस्कुराहटों की
लड़ियाँ सजा गया
तन्हाई के सूने पलों को
मंज़र सुहाने दिखा गया
मुरझाई हुई सी ख्वाहिशों को
पंख कोई लगा गया
मुरझाई हुई सी ख्वाहिशों को
पंख कोई लगा गया
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