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पल पल बदलती ज़िंदगी
से इत्तिफ़ाक़ क्या रखना
गुज़रे हुए दर्द का
अज़ाब क्यों रखना
पल पल बदलते लोगों से
खिंचाव क्या रखना
तब्दील हो चुके जज़्बातों
से लगाव क्यों रखना
पल पल बदलती हसरतों
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