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जाने न सीमाएं कोई
न जाने पाबंदियाँ
मन की बस मन ही जाने
इसकी अपनी ही रज़ामंदियाँ
रोके न रूके किसी से
इसकी अपनी ही रफ़्तार है
माने ना आदेश किसी का
मन की अपनी ही सरकार है
बाँधे न बाँध सके कोई
ऐसा परिंदा आज़ाद है
क़ैदी हैं सब इसके
मन की अपनी ही परवाज़ है
मन की अपनी ही परवाज़ है
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