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मैंने देखा है कई दफा
ख़ुद को ख़ुद से दूर होते हुए
सजा कर झूठी हँसी नज़रों में
लबों से रोते हुए
मैंने देखा है कई दफा
ख़ुद को ख़ुद से झगड़ते हुए
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मैंने देखा है कई दफा
ख़ुद को ख़ुद से दूर होते हुए
सजा कर झूठी हँसी नज़रों में
लबों से रोते हुए
मैंने देखा है कई दफा
ख़ुद को ख़ुद से झगड़ते हुए
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