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टूटती हूं कहीं से
तो कहीं से उधड़ जाती हूं
गिरती हूं जब जब
हर बार थोड़ा और
संभल जाती हूं
अटकती हूं कहीं पर
तो कहीं भटक जाती हूं
बिखरती हूं जब जब
हर बार थोड़ा और
सिमट जाती हूं
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टूटती हूं कहीं से
तो कहीं से उधड़ जाती हूं
गिरती हूं जब जब
हर बार थोड़ा और
संभल जाती हूं
अटकती हूं कहीं पर
तो कहीं भटक जाती हूं
बिखरती हूं जब जब
हर बार थोड़ा और
सिमट जाती हूं
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