महिला दिवस's image
Share0 Bookmarks 47962 Reads0 Likes

कभी माँ तो कभी बहन

बनकर ख्याल रखती है

कभी प्रेमिका तो कभी अर्धांगनी

बनकर प्रेम लुटाती है

कभी बेटी तो कभी बहू

बनकर दुलार करती है

कभी औरत तो कभी स्त्री

बनकर गले लगाती है

उधड़े हुए सपनों को

हौसलों के धागों से

झट से सिल जाती है

हो जाए ज

No posts

Comments

No posts

No posts

No posts

No posts