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बचपन की यादें
वो बेशकीमती सौगातें
जब होते थे बेफ़िक्री भरे दिन
और सुकून भरी रातें
ना थे ज़िंदगी में कोई झमेले
और ना ही था कोई गम
सुबह ओ शाम गूंजता था
बस मुस्कुराहटों का सरगम
खिलखिलाती थी आँखें
और चहकता था मन
काश फ़िर लौट आए
वही लुभावना बचपन
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