Share0 Bookmarks 47528 Reads1 Likes
क्यों बदलूं मैं ख़ुद को
जैसी हूं कमाल हूं
फरिश्ता तो नहीं
हां मगर,
शख़्सियत बेमिसाल हूं
ऋतु दुखों की नहीं
मौसम खुशगवार हूं
ज़िंदगी की डगमगाती नैया
था
No posts
No posts
No posts
No posts
क्यों बदलूं मैं ख़ुद को
जैसी हूं कमाल हूं
फरिश्ता तो नहीं
हां मगर,
शख़्सियत बेमिसाल हूं
ऋतु दुखों की नहीं
मौसम खुशगवार हूं
ज़िंदगी की डगमगाती नैया
था
No posts
No posts
No posts
No posts
Comments