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कमियाँ खोजते हैं 

हम औरों में कुछ इस तरह

जैसे खुद के सिर पर 

पूर्णता का ताज हो

दोष ठहराते हैं दूजों 

पर इस क़दर जैसे

ख़ुद के भीतर गूंजती हरदम

खूबियों की आवाज़ हो


गलतफहमियाँ बुनते हैं 

कुछ इस तरह जैसे ख़ुद 

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