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किंतु परंतु लेकिन
सब यही रह जायेगा
ख़ुद से ख़ुद न मिले तो
जीवन व्यर्थ हो जाएगा
कल परसों नरसो
सब बीत जायेगा
डोर थामी न वक्त की
तो पीछे छूट जायेगा
क्यों कब कहां कैसे
कुछ काम न आएगा
काहे को भटक रहा
गुमराह हो जाएगा
आज अभी यहीं है जीवन
जो तू समझ जाएगा
रहेगा हरदम मौज में अपनी
फिर न पछताएगा
✍️✍️
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