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ख़ुद ही खुद का सहारा

Roopali TrehanRoopali Trehan October 6, 2021
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भागते थे जो कभी 

बचपन में अंधेरों से डर कर

उनको आज विरानियों 

में ही सुकून रास आता है

मिलता था जो लुत्फ़

कभी रौशन महफिलों में

अब वो तन्हाइयों में पास आता है


बेचैन कर देता था 

जिन्हें अकेलापन कभी

आज उनके दिल को

एकांतवास भाता है

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