
Share0 Bookmarks 29 Reads0 Likes
भागते थे जो कभी
बचपन में अंधेरों से डर कर
उनको आज विरानियों
में ही सुकून रास आता है
मिलता था जो लुत्फ़
कभी रौशन महफिलों में
अब वो तन्हाइयों में पास आता है
बेचैन कर देता था
जिन्हें अकेलापन कभी
आज उनके दिल को
एकांतवास भाता है
No posts
No posts
No posts
No posts
Comments