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ख़ामोश आँखें
अक्सर शोर बेतहाशा करती हैं
मौन बैठे जज़्बातों का
बेबाक खुलासा करती हैं
करती हैं जिनको नज़रंदाज़
अक्सर उन्हीं पर मरती हैं
लांघ चुप्पियों की दहलीज़
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ख़ामोश आँखें
अक्सर शोर बेतहाशा करती हैं
मौन बैठे जज़्बातों का
बेबाक खुलासा करती हैं
करती हैं जिनको नज़रंदाज़
अक्सर उन्हीं पर मरती हैं
लांघ चुप्पियों की दहलीज़
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