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काश मिट जाता हर ग़म
महज़ भुलाने से
काश मिट जाता हर वहम
महज़ बताने से
काश मिल जाता क़रार
महज़ मुस्कुराने से
काश मिट जाता ग़ुबार
महज़ दिखाने से
काश सुन पाता कोई
महज़ बुदबुदाने से
काश समझ पाता कोई
महज़ आँखों के फ़साने से
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