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बैठें हैं तैयार सब समझाने को
समझने को कोई तैयार नहीं,,
प्रेम सदा आंतरिक है
ये कोई व्यवहार नहीं
कमियाँ खोजने में माहिर सब
खूबियों पर नज़र नहीं,,
रीति रिवाजों से बंधे रिश्
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बैठें हैं तैयार सब समझाने को
समझने को कोई तैयार नहीं,,
प्रेम सदा आंतरिक है
ये कोई व्यवहार नहीं
कमियाँ खोजने में माहिर सब
खूबियों पर नज़र नहीं,,
रीति रिवाजों से बंधे रिश्
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