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सुनता क्यों नहीं खुद को
ख़ुद के भीतर कभी
झाँकता क्यों नहीं
औरों को मनाने से पहले
ख़ुद की क्यों मानता तू नहीं
मिलेगा ना कुछ भी बाहर
बेवजह भटकता रहेगा
करेगा जब ज
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सुनता क्यों नहीं खुद को
ख़ुद के भीतर कभी
झाँकता क्यों नहीं
औरों को मनाने से पहले
ख़ुद की क्यों मानता तू नहीं
मिलेगा ना कुछ भी बाहर
बेवजह भटकता रहेगा
करेगा जब ज
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