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होंठों की हँसी तो
महज़ नक़ाब है
आँखों में छुपे
सारे जवाब है
हकीकतें कब होती
पाक बेदाग हैं
हसरतों का अपना
अलग ही रुआब है
दिल में उठता
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होंठों की हँसी तो
महज़ नक़ाब है
आँखों में छुपे
सारे जवाब है
हकीकतें कब होती
पाक बेदाग हैं
हसरतों का अपना
अलग ही रुआब है
दिल में उठता
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