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हल्की फुल्की सी है ज़िंदगी
इसे बेवजह यूं बोझ मत बनाइए
ना जाने कौन सी सांस हो आखिरी
इसलिए खुल कर मुस्कुराइए
कहा सुनी में यूं उलझ
समय मत गवाईए
ना जाने कौन सा लम्हा हो आखिरी
इसलिए हर क्षण को यादगार बनाईए
औरों की अपेक्षाओं पर
खरा उतरते उतरते
ख़ुद को यूं मत ठुकराइये
छोड़ बेकार की उलझनों को
ख़ुद के साथ भी कुछ वक्त बिताइए
✍️✍️
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