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गुनगुनाती है सुबह
और शामें भी गज़लें गाती हैं
जिस दिन उनसे
मुलाक़ात हो जाती है
मिट जाता है दर्द सारा और
उदासियाँ भी मुस्कुराती हैं
कानों में जब <
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गुनगुनाती है सुबह
और शामें भी गज़लें गाती हैं
जिस दिन उनसे
मुलाक़ात हो जाती है
मिट जाता है दर्द सारा और
उदासियाँ भी मुस्कुराती हैं
कानों में जब <
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