
Share0 Bookmarks 23 Reads1 Likes
गहरे सन्नाटे
उसमें,,,
खामोशियों का शोर
ज़िंदगी कभी इस पार
तो कभी उस ओर
पल पल बढ़ती
उलझनों का
मिलता न कोई छोर
जाने किस दिशा
ज़िंदगी की डोर
दिल के जज़्बातों
पर चलता न कोई ज़ोर
अंधेरों की राह ताकती
सुनहरी इक भोर
✍️✍️
No posts
No posts
No posts
No posts
Comments