
Share0 Bookmarks 255 Reads0 Likes
दुनियासाज़ी का खेल
खेलना हमें कभी आया नहीं
गिर गया जो इक दफा नज़रों से
वो दिल को फिर कभी भाया नहीं
सफ़र करती रही तमाम ख्वाहिशें उम्र भर
हकीकतों को ठुकराना कभी हमें आया नहीं
ढलती रही ज़िंदगी उस एक दिन के इंतज़ार मे
No posts
No posts
No posts
No posts
Comments