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दुनियासाज़ी का खेल
खेलना हमें कभी आया नहीं
गिर गया जो इक दफा नज़रों से
वो दिल को फिर कभी भाया नहीं
सफ़र करती रही तमाम ख्वाहिशें उम्र भर
हकीकतों को ठुकराना कभी हमें आया नहीं
ढलती रही ज़िंदगी उस एक दिन के इंतज़ार मे
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