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उलझनों में फँसी है ज़िंदगी
उलझनों में ही इसका हल है
वर्तमान में ही है राहत सारी
यही समझने में दुनिया असफल है
बेताबियों में ही है चैन सारे
बेताबियाँ ही बेसब्री का हल हैं
व्याकुलता से ही हैं श
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